श्री साईं स्तोत्र का पाठ
जय जय साईनाथा शुभ तव गाथा प्रकट ब्रह्म श्री संता ।
जय करुणसागर सब गुण आगर अलख-असीम अनंता ॥….(1)
जय सर्वज्ञानी अंतर्यामी अच्युत-अनूप-महंता ।
जय सिद्धिविनायक शुभफलदायक पालक जगत नियंता ॥….(2)
जय सृष्टि रचयिता धारणकर्ता सर्वश्रेष्ठ अभियंता ।
जय सर्वव्यापी परम प्रतापी प्रेम-पयोधि प्रशांता ॥….(3)
जय सहज कृपाला दीन दयाला प्रणतपाल भगवंता ।
जय सच्चिदानंदा प्रभु गोविंदा हिय कोमल अत्यंता ॥….(4)
जय जय अविनाशी मशिद निवासी परम पवित्र पुनीता ।
जय जनहिताकारी मुनिमनहारी सर्वसुलभ धीमंता ॥….(5)
जय जय शुभकारक अधमउद्धारक अतुलनीय बलवंता ।
जय कृपानिधाना सुह्रदसुजाना लोभ-मोह-मद हन्ता ॥….(6)
जय अहम निवारक चित्तसुधारक शुद्ध ह्रदय श्रीकांता ।
जय अजर-अजन्मा शुभ गुण धर्मा ध्यानलीन अति शांता ॥….(7)
जय नाथ निराला ह्रदय विशाला निरासक्त गुणवंता ।
जय वृति नियामक तृप्ति प्रदायक स्वयं सदगुरु दत्ता ॥….(8)
जय जय त्रिपुरारी कृष्ण मुरारी जय जय जय हनुमन्ता ।
जय साई भिखारी अति अनुरागी व्यापित सकल दिगंता ॥….(9)
गाऊँ तव लीला मधुर रसीला बोधपूर्ण वृतांता ।
बोलूँ कर जोड़ी स्तुति तोरी सुनहुँ प्रार्थना संता ॥….(10)
जय जय सन्यासी हरहूँ उदासी प्रेम देहुँ जीवंता ।
जय जय श्री साई अति प्रिय माई करुणा करहुँ तुरन्ता ॥….(11)
॥ ऊँ श्री साई ॥