Patala Narasimha Mantra
om kshaum namo bhagavate sanhaay pradeeptasooryakotisahastrasamatejase vajranakhadanshtraayudhaay sphutavikat vikeern kesarasataaprakshubhit mahaarnavaambhodundubhinirghoshaay sarvamantrottaaranaay ehyehi bhagavannarasinh purush paraapar brahm satyen sphur sphur vijrmbh vijrmbh aakram aakram garj garj munch munch sinhanaadan vidaaray vidaaray vidraavay vidraavayaavishaavish sarvamantraroopaani mantrajaateenshch han han chchhindachchhind sankship sakship dar dar daray daay
sthal: phut sphotay jvaalaamaalaathadhat sarvatonantajvaalaav yya
yyaavartyant dan sarvapaatraanyatsayyatsaay sarvatonantajvaala
vajrasharapan ran sarvapaatr parityay parivaar sarv ma ya yabhayakshay sankshy ain (phatsoorebhyah phanamantraroopebhyah phanamantrajaatibhyah
phat sanshayanmaan bhagavannarasinharoop vishno sarvapadbhyah) sarvamantramebhyo raksh raksh hum phannamo namaste
ॐ क्षौं नमो भगवते संहाय प्रदीप्तसूर्यकोटिसहस्त्रसमतेजसे वज्रनखदंष्ट्रायुधाय स्फुटविकट विकीर्ण केसरसटाप्रक्षुभित महार्णवाम्भोदुन्दुभिनिर्घोषाय सर्वमंत्रोत्तारणाय एह्येहि भगवन्नरसिंह पुरुष परापर ब्रह्म सत्येन स्फुर स्फुर विजृम्भ विजृम्भ आक्रम आक्रम गर्ज गर्ज मुन्च मुन्च सिंहनादं
विदारय विदारय विद्रावय विद्रावयाऽऽविशाऽऽविश सर्वमंत्ररूपाणि मंत्रजातींश्च हन हन च्छिन्दच्छिन्द संक्षिप सक्षिप दर दर दारय दारय स्फुट स्फुट स्फोटय स्फोटय ज्वालामालासंघातमय सर्वतोऽनन्तज्वालावज्राशनिचक्रेण सर्वपातालानुत्सादयोत्सादय सर्वतोऽनन्तज्वाला वज्रशरपन्जेरण सर्वपातालपरिवारय परिवारय सर्वपातालासखासिनां हृदयान्याकर्षय आकर्षय शीघ्रं दह दह पच पच मय मथ शोषय शोषय निकृन्तय निकृन्तय तावद्यावन्मे वशमागताः पातलेभ्यः (फट्सुरेभ्यः फणमंत्ररूपेभ्यः फण्मंत्रजातिभ्यः फट् संशयान्मां
भगवन्नरसिंहरूप विष्णो सर्वापद्भ्यः) सर्वमंत्ररूपेभ्यो रक्ष रक्ष हुं फण्नमो नमस्ते । ।
अर्थ – यह श्रीहरिस्वरूपिणी पाताल नरसिंह विद्या है। जो सर्वाभीष्ट सिद्धि प्रदान करने वाली सिद्ध
विद्या है। शत्रुबन्धन, महाप्रेतबन्धन, ग्रहबन्धन, सर्वतंत्रबंधन, महादरिद्रता का नाश कर साधक को
परम् सौभाग्य प्रदान करती है, परन्तु साधारण साधकों को इस विद्या का प्रयोग कदापि नहीं
करना चाहिये, क्योंकि नरसिंह भगवान् अति उग्र एवं भयंकर देवता हैं ।
भगवान् विष्णु के विशेष संख्या में जप करने के बाद ही इस विद्या का अधिकार साधक को प्राप्त
होता है। आर्थिक बाधा में भी यह विद्या शीघ्र फल शुभदायक है। इस प्रयोग के साथ नित्य शान्ति
कर्म करना अति अनिवार्य है।
इस पाताल नृसिंह मंत्र के द्वारा साधक किसी भी तरह की भूतबाधा, प्रेतबाधा और तन्त्रबाधा को
समाप्त करने की क्षमता प्राप्त कर लेता है | मन्त्रिक इस मंत्र को 11 दिनों में नित्य 1 माला जप
कर सिद्ध कर सकता है | काली हकीक माला से इस मंत्र का जप किया जाता है | प्राण प्रतिष्ठित नृसिंह यन्त्र को अपने सामने रख कर इस मंत्र का जप करना चाहिए |