माँ बगलामुखी साधना मंत्र
प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है। 1. काली 2. तारा 3. षोड़षी 4. भुवनेश्वरी 5. छिन्नमस्ता
भैरवी 7. धूमावती 8. बगलामुखी 9. मातंगी 10. कमला। मां भगवती श्री बगलामुखी का महत्व समस्त देविओं में सबसे ऊपर है l
मां बगलामुखी यंत्र चमत्कारी सफलता तथा सभी प्रकार की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कहते हैं की इस यन्त्र में इतनी ताकत है कि यह भयंकर तूफान से भी टक्कर लेने में समर्थ है।
माहात्म्य – सतयुग में एक समय भीषण तूफान से चिंतित हो भगवान विष्णु ने तप करने की ठानी l भगवान विष्णु सौराष्ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तपस्या की l इस तपस्या के फलस्वरूप सरोवर में से भगवती बगलामुखी का अवतरण हुआ l हरिद्रा का मतलब हल्दी होता है। अत: माँ बगलामुखी वस्त्र एवं सामग्री सभी पीले रंग के होते हैं। बगलामुखी मंत्र के जाप में हल्दी की माला का प्रयोग होता है।
साधनाकाल की सावधानियां
- ब्रह्मचर्यका पालन करें।
- पीलेवस्त्र धारण करें।
- एक समय भोजन करें।
- बाल नहीं कटवाएं।
- मंत्र के जप रात्रि के 10 सेप्रात: 4 बजे के बीच करें।
- दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें।
- साधना में छत्तीस अक्षर वाला मंत्र श्रेष्ठ फलदायी होता है।
- साधना अकेले में, मंदिर में, हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए l
मंत्र – सिद्ध करने की विधि
साधना में जरूरी श्री बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है।
अगर सक्षम हो तो ताम्रपत्र या चांदी के पत्र पर इसे अंकित करवाए।
बगलामुखी यंत्र एवं इसकी संपूर्ण साधना यहां देना संभव नहीं है। किंतु आवश्यक मंत्र को संक्षिप्त में दिया
साधक मंत्र संपन्न करें तब उसे सुविधा रहे।
प्रभावशाली मंत्र मां बगलामुखी
विनियोग
अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप्छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये गु । स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ॐ नम: सर्वांगंश्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।
आवाहन
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखंस्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साध्य स्वाहा l
ध्यान
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटांसच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतांसस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।
मंत्र
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टान
वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय
बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम्स्वाहा।
इन 36 अक्षरों वाले मंत्र मेंअद्भुत प्रभाव है। इसको एक लाख जाप द्वारा सिद्ध किया जाता है। अधिक सिद्धि हेतु 5 लाख जप भी किए जा सकते हैं। जप की संपूर्णता के पश्चात्दशांश यज्ञ एवं दशांश तर्पण भी आवश्यक है।