केतु मन्त्र
विनियोग:
ॐ अस्य श्री केतु मंत्रस्य, शुक्र ऋषि:, पंक्तिछंद:, केतु देवता, कें बीजं, छाया शक्ति:, श्री केतु प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः
विनियोग के पश्चात् केतु का ध्यान करें—
अनेक रुपवर्णश्र्व शतशोऽथ सहस्रश: ।
उत्पात रूपी घोरश्र्व पीड़ा दहतु मे शिखी ॥
ध्यान के पश्चात् साधक एक बार पुन: ‘केतु यंत्र’ का पूजन कर पूर्ण आस्था के साथ ‘लाल हकीक माला’ से केतु गायत्री मंत्र की एवं केतु सात्विक मंत्र की एक-एक माला मंत्र जप करें –
गायत्री मंत्र :
॥ ॐ पद्मपुत्राय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो केतु: प्रचोदयात ॥
केतु सात्विक मंत्र :
॥ ॐ कें केतवे नम: ॥
इसके बाद साधक केतु तांत्रोक मंत्र की नित्य 23 माला 11 दिन तक जाप करे।
केतु तांत्रोक्त मंत्र :
॥ ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नम: ॥
केतु स्तोत्र : नित्य मन्त्र जाप के बाद केतु स्तोत्र का पाठ हिन्दी या संस्कृत में अवश्य करें-
केतु: काल: कलयिता धूम्रकेतुर्विवर्णक: ।
लोककेतुर्महाकेतु: सर्वकेतुर्भयप्रद: ॥1॥
रौद्रो रूद्रप्रियो रूद्र: क्रूरकर्मा सुगन्धृक् ।
फलाशधूमसंकाशश्चित्रयज्ञोपवीतधृक् ॥2॥
तारागणविमर्दो च जैमिनेयो ग्रहाधिप: ।
पञ्चविंशति नामानि केतुर्य: सततं पठेत् ॥3॥
तस्य नश्यंति बाधाश्च सर्वा: केतुप्रसादत: ।
धनधान्यपशुनां च भवेद् वृद्धिर्न संशय: ॥4॥