श्री ब्रह्मास्त्र मंत्र
श्री ब्रह्मास्त्र मंत्र –
‘o namo brahmay namah smaran matren prakatay prakatay, sheeghram aagachch aagachch, mama sarvashatru nasay naashay, shatru senyam nashya nashya ghatay ghataya marya marya hum phat’
‘ॐ नमो ब्रह्माय नमः । स्मरण मात्रेण प्रकटय प्रकटय, शीघ्रं आगच्छ आगच्छ, मम सर्वशत्रु नाशय नाशय,
शत्रु सैन्यं नाशय नाशय, घातय घातय, मारय मारय हुं फट् ।’
विनियोग-
ॐ अस्य श्री परब्रह्ममंत्र, सदाशिव ऋषिः, अनुष्टुप् छंदः, निर्गुण सर्वान्तर्यामी परम्ब्रह्मदेवता, चतुर्वर्गफल सिद्धयर्थे विनियोगः ।
ऋष्यादिन्यास-
सदाशिवाय ऋषये नमः शिरसि ।
अनुष्टुप् छंदसे नमः मुखे ।
सर्वान्तर्यामी निर्गुण परमब्रह्मणे देवतायै नमः हृदि ।
धर्मार्थकाममोक्षावाप्तये विनियोगः सर्वांगे ।
करन्यास
ॐ अंगुष्ठाभ्यां नमः ।
सत् तर्जनीभ्यां स्वाहा ।
चित् मध्यमाभ्यां वषट्।
एकं अनामिकाभ्यां हुं ।
ब्रह्म कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् ।
ॐ सच्चिदेकं ब्रह्म करतलकरपृष्ठाभ्यां फट्
हृदयादिन्यास-
ॐ हृदयाय नमः ।
सत् शिर से स्वाहा ।
चित् शिखायै वषट्।
एकं कवचाय हुं।
ब्रह्म नेत्रत्रयाय वौषट् ।
ॐ सच्चिदेकं ब्रह्म अस्त्राय फट् ।
ध्यानम्
हृदयकमलमध्ये निर्विशेषं निरीहं, हरिहर विधिवेद्यं
योगिभिर्ध्यानगम्यम्। जननमरणभि भ्रंशि सच्चित्स्वरूपं, सकलभुवनबीजं ब्रह्म चैतन्यमीडे ।।
ब्रह्म मंत्र-
‘ॐ नमो ब्रह्माय नमः । स्मरण मात्रेण प्रकटय प्रकटय, शीघ्रं आगच्छ आगच्छ, मम सर्वशत्रु नाशय नाशय, शत्रु सैन्यं नाशय नाशय, घातय घातय, मारय मारय हुं फट् ।’
विधि- ब्रह्मास्त्र मंत्र का पुरश्चरण 51000 जप का है। जपोपरान्त् विधिपूर्वक दशांश हवन, हवन का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन तथा मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोजन करवाना चाहिये।
ब्रह्मास्त्र मंत्र का पुरश्चरण करते समय भक्ष्याभक्ष्य का विचार नहीं किया जाता है। काल शुद्धि तथा स्थान परिवर्तन का कोई नियम नहीं है। मुद्रा प्रदर्शित करना या ना करना, उपवास करके या बिना उपवास के, स्नान करके या बिना नहाये, स्वेच्छानुसार इस अमोघ मंत्र की साधना करें। अपने गुरु से दीक्षा लेकर ही इस विद्या का प्रयोग करना चाहिए |