Kshama Yachna : Apni Puja Ko Safal Aur Sampann Karne Ka Asan Tarika Aur Mantra
सनातन धर्म के अनुसार हर पूजा अर्चना के पश्चात क्षमा याचना अवश्य करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पूजा के बाद क्षमा याचना करने से ही आपकी पूजा संपन्न और सफल होती है।
किस प्रकार से करें क्षमा याचना ? (Kis Prakar Se Karen Kshama Yachna)
यदि आप किसी भगवान की पूजा कर रहे हैं तो उनकी पूजा सच्चे मन से और पूरी निष्ठा से ही करें। पूजा के बाद आप भगवान के सामने हाथ जोड़ कर आपके पूजा में होनेवाली किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए माफ़ी मांग सकते है। या तो आप अपने मन में उठने वाली निःस्वार्थ और पवित्र भावना द्वारा भगवान के सामने अपनी बात रख के माफ़ी मांग सकते हैं या फिर आप यहाँ दिए गए कथन द्वारा भी ईश्वर के सामने क्षमा याचना कर सकते हैं। यह कथन इस प्रकार है :
“हे ईश्वर! ना तो मैं आपको यहाँ बुलाना जानता हूँ और ना ही आपको विदा करना जानता हूँ। मैं तो पूजा करना भी नहीं जानता हूँ। कृपा करके प्रभु आप मुझे क्षमा करें। मुझे ना तो कोई मंत्र याद है और ना ही मैं कोई भी क्रिया जानता हूँ। मैं तो ठीक तरीके से सच्ची भक्ति करना भी नहीं जानता हूँ। अपने निःस्वार्थ और भक्ति भावना से आपकी पूजा कर रहा हूँ, प्रभु कृपया करके आप मेरी सभी भूलों को क्षमा करें और मेरे द्वारा किये गए इस पूजा को सम्पन्नता प्रदान करें।”
क्षमा याचना मंत्र : (Kshama Yachna Mantra in hindi)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक देवी-देवताओं की पूजा में उन देवी देवताओं से जुड़े मंत्रों का जाप पूरी विधि विधान से किया जाता है। हिन्दू धर्म में प्रत्येक देवी देवता की पूजा से जुड़ें सभी क्रियाओं के लिए ही अलग-अलग और कुछ विशेष मंत्र बताए गए हैं।
स्नान, ध्यान, प्रार्थना, भोग आदि के मंत्रों के तरह ही क्षमा याचना मंत्र भी होता हैं। कोई भी व्यक्ति पूजा करते समय जाने – अनजाने में कई प्रकार के भूल कर बैठता हैं। किसी भी पूजा से जुड़ें इस तरह के भूलों के लिए क्षमा याचना मंत्र भी कहा जाता है। कहते हैं की जब भी हम पूजा से जुड़ीं हमारी गलतियों के लिए ईश्वर से क्षमा मांगते हैं, तभी हमारी पूजा संपन्न और सफल होती है।
पूजा के दौरान क्षमा मांगने का अर्थ यह है कि हमारी दैनिक जीवन में हमसे कई तरह की गलतियां हो जाती हैं और जब भी हमसे कोई गलती हो जाती है तो हमें तुरंत ही क्षमा भी मांग लेनी चाहिए। क्षमा के इस भाव से अहंकार खत्म होता है और हमारे रिश्तों में प्रेम बना रहता है।
पूजा के दौरान क्षमा मांगने के लिए बोला जाता है यह मंत्र :
।। आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्।।
।। पूजां श्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर।।
।। मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं।।
।। यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्मतु।।
इसका तात्पर्य यह है कि ईश्वर हर जगह हैं, ईश्वर को ना तो आमंत्रित करना पड़ता है और ना ही उन्हें विदा करना पड़ता है। यह आवश्यक नहीं है कि पूजा संपूर्ण रूप से धर्म शास्त्रों में बताए गए विधि विधान के अनुसार ही हो, इस प्रक्रिया में मंत्र तथा क्रिया दोनों में ही चूक हो सकती है। इसके बावजूद भी, चूंकि, मैं एक भक्त हूँ तथा पूजा करना चाहता हूँ, मुझसे भी चूक हो सकती है, किन्तु प्रभु मुझे मेरे इन गलतियों के लिए क्षमा करें। मेरे अहंकार को दूर करें, क्योंकि मैं आपकी शरण में आया हूँ।